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तेरी उल्फत में मेरी दिल्लगी में फना होना बाकी है,

तेरी उल्फत में मेरी दिल्लगी में फना होना बाकी है,
रहन किया तो तूने बेशकीमती रूह को,उसका सूद लौटाना बाकी है,
मुर्दों की इस महफिल में, अभी तेरा ज़मीर जगाना बाकी है,
बे-अस्बाब जो छोड़ गए‌‌ तुम, वियोग में अभी अश्क बहाना बाकी है। समय सीमा : 06.01.2021
                  9:00 pm
पंक्ति सीमा : 4
 
काव्य-ॲंजुरी में आपका स्वागत है।

आइए,
मिलकर कुछ नया लिखते हैं,
तेरी उल्फत में मेरी दिल्लगी में फना होना बाकी है,
रहन किया तो तूने बेशकीमती रूह को,उसका सूद लौटाना बाकी है,
मुर्दों की इस महफिल में, अभी तेरा ज़मीर जगाना बाकी है,
बे-अस्बाब जो छोड़ गए‌‌ तुम, वियोग में अभी अश्क बहाना बाकी है। समय सीमा : 06.01.2021
                  9:00 pm
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mrsrosysumbriade8729

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