अलख निरंजन ***************** न लख सका मैं तुझको अलख तू निर्लिप्त सा आज तेरी लौं हृदय में पा गया हे निरंजन...! हां स्वयं से ही ठगा सा गया था मैं...! मन में लख। सुधा भारद्वाज"निराकृति" विकासनगर उत्तराखंड #अलखनिरंजन