यदि सफलता को मनाने का अधिकार है फिर विफलता को अपनाने का अधिकार क्यों नही। यदि आगे बढ़ने पर प्रोत्साहन है तो पीछे होने पर निराश होकर बैठने का क्यों नही। सिर्फ जीत का मंत्र सिखाना है सबको तो अपने हार के बारे में बताएगा कौन। किस उधेड़ बुन में जी रहे है हम किस सपने को जी रहे हम। जाने कैसा परिवेश बना रहे हम। सवाल बहुत कौंध रहे मन में फिर भी जवाब नही पा रहे हम। जाने किस राह चले जा रहे हम जाने किस राह चले जा रहे हम। #उधेरबुन