न कुछ बोलना, न ही पूछना सनम, अकस्मात इतराते हो जब, आकर बाहें पसारते हो, सुकून मिल जाता है, एक फुर्तीलापन भर जाता है। रोम रोम पुलकित, मन हल्का सा, तुम्हारी बाहें वह साहिल, पथिक मन को थाम लेतीं।। — % & ♥️ Challenge-842 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ Happy Hug Day ♥️ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।