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न कुछ बोलना, न ही पूछना सनम, अकस्मात इतराते हो जब,

न कुछ बोलना,
न ही पूछना सनम,
अकस्मात इतराते हो जब,
आकर बाहें पसारते हो,
सुकून मिल जाता है,
एक फुर्तीलापन भर जाता है।
रोम रोम पुलकित, 
मन हल्का सा,
तुम्हारी बाहें वह साहिल,
पथिक मन को थाम लेतीं।।
— % & ♥️ Challenge-842 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ Happy Hug Day ♥️

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न कुछ बोलना,
न ही पूछना सनम,
अकस्मात इतराते हो जब,
आकर बाहें पसारते हो,
सुकून मिल जाता है,
एक फुर्तीलापन भर जाता है।
रोम रोम पुलकित, 
मन हल्का सा,
तुम्हारी बाहें वह साहिल,
पथिक मन को थाम लेतीं।।
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sitalakshmi6065

Sita Prasad

Bronze Star
Growing Creator