भारत त्योहारों का देश है त्योहार हमारी संस्कृति की प्राण तत्व है कोई ऐसी रितु नहीं जो बिना त्यौहार की रीति बिकती हो तेवर से हमारा लोग और समाज नया जीवन नया अर्थ और नई चेतना ग्रहण करता हमारे पर्व में हमें दुनिया ने भी एक मौलिक विशिष्ट पहचान प्रदान करते हैं सनातन संस्कृति में पर्व की यह परिपाटी सदियों पुरानी है वास्तव में सनातन समाज अकेला ऐसा समाज है जो हजारों वर्ष से अपने समय कितना और स्मृतियों से अपने त्यौहार एवं परंपराओं को कम भूपेश और उनके मूल स्वरूप से सहित संभाले हुए भारत की मिट्टी हवा पानी में उत्सव बोला है इसी उत्सव धर्मी हमारी जीवंत और गतिशील का सबसे बड़ा प्रणाम हम हमें सब के साथ घुलमिल ना सब के साथ लेना सब के साथ चलने की प्रेरणा देते हैं जीवन की कठोर वास्तविकता से जूझते यथार्थ के तड़पते दुख भोंकते जब हमारे देश को जोड़ता एवं उदासीनता हावी होने लगती है तो यह उत्साही हमारे ऐसे मन स्थिति से बढ़ते हैं त्योहारों की ऐसी समृद्ध परिपाटी कदाचित हमारे ऋषि-मुनियों एवं पुरखों की स्वर वेतन दिन है होली केवल एक उत्साह भर नहीं है यह एक समाज अनुष्ठान है उड़ीसा माता का उत्साह है और हर व्यक्ति समाज के जीवन में आयोजित हुआ इस उदासीनता और सा विक्रम आते ही रहते हैं इन सबके बीच जीवन की गतिमान बनाए रखने के लिए यह अपेक्षा एक आवश्यक है कि वर्ष भर एकत्रित की गई कुल श्रद्धा को प्रेषित कर दिया जाए ताकि ताकि जीवन में एक नए संकल्प पारित हो जा सके ©Ek villain #उल्लास और समता का पर्व होली #Holi