जलते दिए जलाएंगे गहन अंधेरा जग का सारा हृदय प्रदेश में छाई धुंधली मिटायेंगे भ्रम मन का सारा दुविधा संसय संताप का डेरा फैला हैं जो कोना कोना अंधेरा का राज कायम हैं आँखो में डर लाख का होना एक दिये की रोशनी में सब दूर दिखेगा जग का भय जो छाया हैं धरती अम्बर तक बनकर विपदा का राग औ लय भूल गया इंसान मसीहा गहन तिमिर इस वातानल के शरभ शिखा इस वातानल को ईक़ ज्योति दीया से बुझाएंगे जलते दिये जलाएंगे गहन अंधेरा जग का सारा ।। ©बिमल तिवारी “आत्मबोध” #दीपावली2020 #diwali2020 #Lights