तुम जान ना पाओ शायद कभी,हर पल जलता तुमसे कितना हूँ। हर पल लेते साँस तुम, तो बूँद बूँद सा मैं मरता हूँ। चाहे चाहूँ कितना भी, ये वक्त ना साला रुक पाए, डरता हूँ अब हर पल बस, कि साँस ना मेरी थम जाए। हँसते हँसते जाने क्यों, आजकल रुक सा जाता हूँ, चलता जितना तेज़ मैं, उतना ही थक सा जाता हूँ। पर कहना मत मैं हार गया, रोता नहीं हूँ दर्द से अब, कर्राहता नहीं हूँ जख्म से अब, जब से जान गया हूँ मरहम मेरे शब्द है अब। दुख जिससे मैं जूझ रहा, अब ये सिर्फ न मेरा है, माना जिसने मुझको अपना, दर्द ये सब पे ठहरा है। सोचा कह दूँ तुमको भी, लगता अब दूर सवेरा है। ©_athazaz Asthma 23.07.2019 Soumya Jain