|| श्री हरि: ||
11 - गोपाल
'कनूँ तू देवता है?'
'तू देवता है।' कुछ चिढे स्वर में इस प्रकार कन्हाई ने कहा जैसे कोई किसी को गाली के बदले गाली दे दे।
पता नहीं क्या बात है कि इस श्रीदाम से कन्हाई खटपट करता ही रहता है! इसी को चिढाने-खिझाने पर उतारु रहता है। इतने पर भी श्रीदाम रहेगा इसी के साथ। इससे लडेगा, झगड़ेगा, खीझेगा; किन्तु इस व्रजराजतनय का साथ तो नहीं छोडा जा सकता।