"कब याद मे तेरा साथ नहीं, कब हाथ में तेरा हाथ नहीं; साद शुक्र की अपनी रातो में अब हिज्र की कोई रात नहीं; मुश्किल है अगर हालत वह, दिल बेच आए, जा दे आए; दिल वालो कूचा-ए-जाना में, क्या ऐसे भी हालात नहीं; जिस धज से कोई मकतल में गया, वो शान सलामत रहती है; ये जान तो आनी-जानी है, इस जान की तो कोई बात नहीं; मैदान-ए-वफ़ा दरबार नहीं, या नाम-ओ-नसब की पूछ कहाँ; आशिक तो किसी का नाम नहीं, कुछ इश्क किसी की जात नहीं; गर बाज़ी इश्क की बाज़ी है, ओ चाहो लगा दो दर कैसा; गर जीत गए तो क्या कहने, हारे भी तो बाज़ी मात नहीं।" 🌹🍁🌳🌲🍃🌿🌸🎋🍂🎍🍀 ©aryan ravi #SuperBloodMoon dhyan mira