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स्कूल में जाकर के पढ़ना ,वो चौअन पचपन लौटा दे, ऐ खु

स्कूल में जाकर के पढ़ना ,वो चौअन पचपन लौटा दे,
ऐ खुदा बस इतना कर तू मेरा बचपन लौटा दे..!!

जब 1 रुपये में बाहर बिकने बर्फ का गोला आता था,
आज के मंहगे पिज़्ज़ा से भी कितना ज्यादा भाता था,
फिर माँ के आगे रोते थे,वो आंसू छप्पन लौटा दे।
ऐ खुदा बस इतना कर तू मेरा बचपन लौटा दे..!!

जब कोई शर्म न होती थी,कच्छे में जाया करते थे,
अब मंहगे कपडों में वो खुशी नहीं,जो कच्छे में पाया करते थे,
फिर दिल से खेल में लग जाते थे,वो सच्ची धड़कन लौटा दे..!!
ऐ खुदा बस इतना कर तू मेरा बचपन लौटा दे..!!

जब कोई फिक्र न होती थी,केवल जुनून होता था,
अब भागदौड़ का जीवन है,पर तब सुकून होता था,
जब बहुत सवाल होते थे,वो कच्चा-सा मन लौटा दे..!!
ऐ खुदा बस इतना कर तू मेरा बचपन लौटा दे..!!

जब सांझ ढले ही थक जाते थे,माँ गोदी में हमें सुलाती थी,
अब मखमल का बिस्तर भी चुभता है,वो गोदी  बहुत लुभाती थी,
जब ख्वाबों में खुद से मिलते थे,कोई वो दर्पण लौटा दे..!!
ऐ खुदा बस इतना कर तू मेरा बचपन लौटा दे..!!

इच्छाएं पूरी करने को,हम कितना आगे निकल गए,
कुछ बड़ा करने के ख्वाब हमारे बचपन को निगल गए,
में 'मतवाला' बैठ के रोता हूं,कोई तो करधन लौटा दे..!!
ऐ खुदा बस इतना कर तू मेरा बचपन लौटा दे..!! हमारे जीवन का सबसे सुखद समय वो #बचपन ही था.....
ऐ काश कि एक बार हम फिर से बच्चे बन जाएँ...
फिर से वही खेल,,,,फिर से वही रेल बना सकें,,,ऐ काश,,,,

#udquotes
#udpoems
#खुदा
#माँ
स्कूल में जाकर के पढ़ना ,वो चौअन पचपन लौटा दे,
ऐ खुदा बस इतना कर तू मेरा बचपन लौटा दे..!!

जब 1 रुपये में बाहर बिकने बर्फ का गोला आता था,
आज के मंहगे पिज़्ज़ा से भी कितना ज्यादा भाता था,
फिर माँ के आगे रोते थे,वो आंसू छप्पन लौटा दे।
ऐ खुदा बस इतना कर तू मेरा बचपन लौटा दे..!!

जब कोई शर्म न होती थी,कच्छे में जाया करते थे,
अब मंहगे कपडों में वो खुशी नहीं,जो कच्छे में पाया करते थे,
फिर दिल से खेल में लग जाते थे,वो सच्ची धड़कन लौटा दे..!!
ऐ खुदा बस इतना कर तू मेरा बचपन लौटा दे..!!

जब कोई फिक्र न होती थी,केवल जुनून होता था,
अब भागदौड़ का जीवन है,पर तब सुकून होता था,
जब बहुत सवाल होते थे,वो कच्चा-सा मन लौटा दे..!!
ऐ खुदा बस इतना कर तू मेरा बचपन लौटा दे..!!

जब सांझ ढले ही थक जाते थे,माँ गोदी में हमें सुलाती थी,
अब मखमल का बिस्तर भी चुभता है,वो गोदी  बहुत लुभाती थी,
जब ख्वाबों में खुद से मिलते थे,कोई वो दर्पण लौटा दे..!!
ऐ खुदा बस इतना कर तू मेरा बचपन लौटा दे..!!

इच्छाएं पूरी करने को,हम कितना आगे निकल गए,
कुछ बड़ा करने के ख्वाब हमारे बचपन को निगल गए,
में 'मतवाला' बैठ के रोता हूं,कोई तो करधन लौटा दे..!!
ऐ खुदा बस इतना कर तू मेरा बचपन लौटा दे..!! हमारे जीवन का सबसे सुखद समय वो #बचपन ही था.....
ऐ काश कि एक बार हम फिर से बच्चे बन जाएँ...
फिर से वही खेल,,,,फिर से वही रेल बना सकें,,,ऐ काश,,,,

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#खुदा
#माँ
uttamdixit7701

Uttam Dixit

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