उसकी सूरत देखने को सूरते-ए-हाल गवाही नहीं देता कबसे दिल बेवफा कह रहा है उसको मन गवाही नही देता दिल के हालात कबसे सुनाए जा रहा हूँ बेजुबां को लगता है बेजुबान बहरा हो गया अब उसको सुनाई तक नहीं देता ✍️ अमितेश निषाद ( सुमित ) उसकी सूरत देखने को सूरते-ए-हाल गवाही नहीं देता कबसे दिल बेवफा कह रहा है उसको मन गवाही नही देता दिल के हालात कबसे सुनाए जा रहा हूँ बेजुबां को लगता है बेजुबान बहरा हो गया अब उसको सुनाई तक नहीं देता