तारीख़ इक तारीख़ पर शुरू हुई ज़िन्दगी तारीख़ पर ही खत्म हो जाएगी ज़िन्दगी की कहानी में हर वाक़या लिखा जा रहा है रोज़ तारीख़ में। तारीख़ के शब्दकोश में है बीते लम्हों में कैद यादों का अथाह और अमिट खजाना जब चाहें कर लें एहसास उन्हें फिर इक बार जीने का। तारीख़ मापनी है वक्त की बीत चुका है, चल रहा है या फिर अभी आने वाला है रोज़ रात को विदा करते हैं उस तारीख़ को जो बन गई है इतिहास फिर अगली सुबह स्वागत होता है इक नई तारीख़ का। © जीवन बिलासपुरी (हि० प्र०) #Date #dates #jeevanbilaspuri