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कुछ लोग कभी नहीं बदलते बस हमेशा जहर ही हैं उगलते

कुछ लोग कभी नहीं बदलते
बस हमेशा जहर  ही हैं उगलते
आतिश की चिंगारी  खुद लगाकर 
अब उसी आग में ही हैं खुद जलते । 
कुछ लोग कभी नहीं बदलते
कुछ लोग इतना निचे  गिर जाते हैं कि
धरती  पर ही बौझ है  बनते
गुजारिश है हर माँ की कोख से कि-
जन्म ही नहीं संसकार से है बच्चे पनपते
कुछ और हो ना हो -
मगर संसकार और शब्दों के लहजे की
तालिम देना ना भूलें
क्योंकि अच्छे वृक्ष की डालियों पर ही है-
इंसानियत के झूले झूलते । 


👉S. ₹@; dunia k roz rang badalte hai
कुछ लोग कभी नहीं बदलते
बस हमेशा जहर  ही हैं उगलते
आतिश की चिंगारी  खुद लगाकर 
अब उसी आग में ही हैं खुद जलते । 
कुछ लोग कभी नहीं बदलते
कुछ लोग इतना निचे  गिर जाते हैं कि
धरती  पर ही बौझ है  बनते
गुजारिश है हर माँ की कोख से कि-
जन्म ही नहीं संसकार से है बच्चे पनपते
कुछ और हो ना हो -
मगर संसकार और शब्दों के लहजे की
तालिम देना ना भूलें
क्योंकि अच्छे वृक्ष की डालियों पर ही है-
इंसानियत के झूले झूलते । 


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