इस ज़िन्दगी की चादर में सांसो के ताने-बाने है .... दुख की थोड़ी सलवटे है सुख के कुछ फूल सुहाने है.... क्यों सोचे आगे क्या होगा कल के कौन ठिकाने है.... ऊपर बैठा वो बाजीगर जाने मन में क्या ठाने है.... चाहे जितना भी जतन करें दामन तारों से जो भरने है... झोली में वो ही आयेगा जो मेरे नाम के दाने है....। (21/05/2015) ©Mukesh Agrawal #जीवनचक्र#