क्या शबाब था कि फूल फूल प्यार कर उठा क्या सरूप था कि देख आइना सिहर उठा इस तरफ़ ज़मीन उठी तो आसमान उधर उठा थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा ©Sumo #retro