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गुरू -शिष्य परम्परा , भारतीय संस्कृति और मानवीय

गुरू -शिष्य परम्परा , भारतीय  संस्कृति  और मानवीय सभ्यता के उत्थान का आधार स्तंभ है, इक अबोध और 
अज्ञानी छात्र को , अपने ज्ञान,  स्नेह,  और व्यक्तित्व के संगम नीर से सतत सिंचित कर , ज्ञान,  विज्ञान, तकनीक, संस्कार और मानवीय मूल्यो से भरे हुए राष्ट्र दीप का प्रज्वलन कर , देश और मानवता को नई दिशा और ऊर्जा 
से सुशोभित कर गुरु जगत मे ईश्वर से भी अधिक पूजनीय 
बन जाते है.....मुझ जैसे  को अंधकार के घोर तिमिर से निकाल कर "प्रकाशित दीप " बनाने वाले हर गुरु को बारम्बार प्रणाम, विशेषकर मेरे माता पिता,  प्राइमरी और हाईस्कूल के सभी पूजनीय शिक्षक,  R.T sir , Dr R.vsir ,Ajai sir , Sachin sir , Atiq sir , sahendra sir   , prof Seema mam , prof H. Kashyap,  prof.MK yadav, prof B.S Yadav ,...सभी गुरुजनो को  अध्यापक दिवस की हार्दिक बधाई 💞🙏🙏🙏🙏🙏
" अप्प दीपो भवः"

©Deep
  #Teachersday