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मेरा अपना अनुभव के आधार पर यह कि पुरूष किसी स्त्र

मेरा अपना अनुभव के आधार पर  यह कि पुरूष किसी स्त्री  का  पुरूष से ज्यादा मान सम्मान ,पैसा ,पद या फैसले लेना उसके अहम को चोट करता वो सहज नहीं स्वीकार कर पाता ,,,,

इन सबके कारण ही आये दिन पर्सनल रिश्ते प्रभावित होते हैं अगर पत्नी ऐसी किसी सपने या महत्त्वाकांक्षा रखती है तो इस मुद्दे पर घरों आये दिन विवाद इल्जाम जन्म ले लेते हैं ,,,,इसका सीधा सा कारण है पति या पिता जैसा बताये वैसा ही ठीक नहीं तो तुम घर की मर्यादा तोड़ने वाली ,घमंडी वगैरह वगैरह ।

तुम लड़की हो इसलिए ये जॉब तुम्हारे लिए सेफ नहीं है बाहर रहना पड़ेगा फलां जॉब में ऐसा होता है वैसा होता पता नहीं कितने उदाहरण वो रख देते हैं जिससे कि उस लड़की का इरादा बदल जाये ।

कोई मुझे बता सकता है कि महिलाएं कहाँ सुरक्षित हैं ?  या कौन सी लड़की जॉब कर के अपने पति या ससुराल वालों पर रॉब झाड़ेगी   या बदचलन होगी ,,,,क्या इन सवालों के डर से एक लड़की अपनी शिक्षा और सपनों की तिलांजलि दे दे ।

ये बहुत बड़ा सवाल होता है एक लड़की की ज़िंदगी के लिये ....अक्सर दो चार होना पड़ता है बहुत सी महिलाओं को ....

 स्त्री विमर्श पर लिखने वालों से बहुत से पुरुषों को इसी लिये बहुत आपत्ति होती है उन्हें शोर सा प्रतीत होता है इनको सब मिल रहा है हम सबकुछ दे रहे हैं ऐसे जताते हैं जैसे ये अपने हिस्से का दे रहे हैं एहसान जताना नहीं भूलते जबकि सच ये है आज भी महिलाओं की बड़ी संख्या ऐसी है जो रातदिन हक के लिए जूझती हैं तब कहीं अपने पैर जमा पाती हैं

©🇮🇳करिश्मा  राठौर स्त्री विमर्श लेखन बनाम स्त्री विमर्श पर आपत्ति  
#स्त्रीविमर्श
#ज्वलंतमुद्दा
#nojotosocialissue 
#nojotohindi 
#nojotowomenempowerment
मेरा अपना अनुभव के आधार पर  यह कि पुरूष किसी स्त्री  का  पुरूष से ज्यादा मान सम्मान ,पैसा ,पद या फैसले लेना उसके अहम को चोट करता वो सहज नहीं स्वीकार कर पाता ,,,,

इन सबके कारण ही आये दिन पर्सनल रिश्ते प्रभावित होते हैं अगर पत्नी ऐसी किसी सपने या महत्त्वाकांक्षा रखती है तो इस मुद्दे पर घरों आये दिन विवाद इल्जाम जन्म ले लेते हैं ,,,,इसका सीधा सा कारण है पति या पिता जैसा बताये वैसा ही ठीक नहीं तो तुम घर की मर्यादा तोड़ने वाली ,घमंडी वगैरह वगैरह ।

तुम लड़की हो इसलिए ये जॉब तुम्हारे लिए सेफ नहीं है बाहर रहना पड़ेगा फलां जॉब में ऐसा होता है वैसा होता पता नहीं कितने उदाहरण वो रख देते हैं जिससे कि उस लड़की का इरादा बदल जाये ।

कोई मुझे बता सकता है कि महिलाएं कहाँ सुरक्षित हैं ?  या कौन सी लड़की जॉब कर के अपने पति या ससुराल वालों पर रॉब झाड़ेगी   या बदचलन होगी ,,,,क्या इन सवालों के डर से एक लड़की अपनी शिक्षा और सपनों की तिलांजलि दे दे ।

ये बहुत बड़ा सवाल होता है एक लड़की की ज़िंदगी के लिये ....अक्सर दो चार होना पड़ता है बहुत सी महिलाओं को ....

 स्त्री विमर्श पर लिखने वालों से बहुत से पुरुषों को इसी लिये बहुत आपत्ति होती है उन्हें शोर सा प्रतीत होता है इनको सब मिल रहा है हम सबकुछ दे रहे हैं ऐसे जताते हैं जैसे ये अपने हिस्से का दे रहे हैं एहसान जताना नहीं भूलते जबकि सच ये है आज भी महिलाओं की बड़ी संख्या ऐसी है जो रातदिन हक के लिए जूझती हैं तब कहीं अपने पैर जमा पाती हैं

©🇮🇳करिश्मा  राठौर स्त्री विमर्श लेखन बनाम स्त्री विमर्श पर आपत्ति  
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