विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी, मरो परन्तु यों मरो कि याद जो करे सभी। हुई न यों सु-मृत्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए, मरा नहीं वहीं कि जो जिया न आपके लिए। वही पशु-प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए जिये। विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी, मरो परन्तु यों मरो कि याद जो करे सभी। हुई न यों सु-मृत्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए, मरा नहीं वहीं कि जो जिया न आपके लिए। वही पशु-प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए जिये।