हक से गिराते थे मुझे आज अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैैं। मैं संभल रहा हूं थोड़ा दोस्त मेरे भी बड़े हो रहे हैं। नासमझी की दहलीज लांघ कर समझदार हो रहे हैं मैं समझ रहा हूं दोस्त अपने ख्वाबों के पहरेदार हो रहे हैं। कमजोर थे जो कन्धे अब अपनों का सहारा हो रहे हैं। मैं अकेला हूं कष्टी में दोस्त अब किनारा हो रहे हैं। फुर्सत नहीं है काम से, गुरूर में दोस्त आधे हों रहें हैं। मैं राह देखता हूं दोस्तों की, मिलने के सिर्फ वादे हो रहें हैं। जिंदगी से बढकर थे जो दोस्त मतलब के हवाले हो रहें हैं। बांटते नहीं है दर्द अपना दिल उनके भी काले हो रहें हैं। ढूंढते थे बहाना मिलने का कभी खामोशियों से रवाना हो रहे हैं। कमाने में उलझे दोस्त मेरे दोस्ती में पूराने हों रहें हैं। ©Chanky Rohira #Hindi #Nojoto #Dosti #friends #Quotes #poem