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ख्वाब वो मेहताब का मेरी नींद का तू वो गहरा ख्वाब

ख्वाब वो मेहताब का 

मेरी नींद का तू वो गहरा ख्वाब है,
भूलना भी चाहूं पर तू बेशकीमती सवाब है,
मैं भटकता राही तो रहनुमा तू है,
तेरी रोशनी को तरसू वो लॉ तू है।

सूरज सा तेज है तुझमें,
पास आना भी चाहूं पर थोड़ा गुरूर है मुझमें,
मंज़िल की तलाश में निकला मुसाफिर ही सही, 
पर अमावस की रात की साज़िश ही कुछ और थी।

तेरी बाहों में आ जाऊं या तुझे बाहों में भर लूं,
या तुझसे दूर जाने का एक वादा कर लू,
में तो ठहरा एक किनारा हूं,
कहीं समन्दर ना बन जाना तू ।

बारिश की बूंद अगर मैं बन जाऊं,
पनाह देना मुझे कहीं मैं बिखर ना जाऊं,
अगर ना हो आसरा तो नदियों में प्रवाहित कर देना,
या उन बंजर खेतों में मुझे सींच देना ।

©Ashok Sah ख्वाब वो मेहताब का 

#Eid-e-milad
ख्वाब वो मेहताब का 

मेरी नींद का तू वो गहरा ख्वाब है,
भूलना भी चाहूं पर तू बेशकीमती सवाब है,
मैं भटकता राही तो रहनुमा तू है,
तेरी रोशनी को तरसू वो लॉ तू है।

सूरज सा तेज है तुझमें,
पास आना भी चाहूं पर थोड़ा गुरूर है मुझमें,
मंज़िल की तलाश में निकला मुसाफिर ही सही, 
पर अमावस की रात की साज़िश ही कुछ और थी।

तेरी बाहों में आ जाऊं या तुझे बाहों में भर लूं,
या तुझसे दूर जाने का एक वादा कर लू,
में तो ठहरा एक किनारा हूं,
कहीं समन्दर ना बन जाना तू ।

बारिश की बूंद अगर मैं बन जाऊं,
पनाह देना मुझे कहीं मैं बिखर ना जाऊं,
अगर ना हो आसरा तो नदियों में प्रवाहित कर देना,
या उन बंजर खेतों में मुझे सींच देना ।

©Ashok Sah ख्वाब वो मेहताब का 

#Eid-e-milad
ashokkumarsah9659

Ashok Sah

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