काश मेरा हक चलता इस कुदरत पर, तुझे खुद से कभी जुदा न होने देती। लड़ जाती पूरी कायनात से, एक तुझे पाने की खातिर, अपना सब कुछ लुटा देती मैं।। माना की बिछड़ना कुदरत का नियम है, मगर बस चलता तो उस नियम को भी बदल देती मैं।।। ©Heer #Leave sad poetry