सुनिये भैया, जो worship है ना, यानि पूजा, ये की जाती है दिल से , और सब जगह से ध्यान हटा कर , शरीर से ध्यान हटाकर अपने सर के अंदर बैठकर , तब तो ये है किसी काम की, वैसे ही अगर काम को भी मन से दिल से ध्यान से किया जाता है तभी वो अच्छा और फायदेमंद होता है, तो निचोड़ ये हुआ की काम भी एक तरह से पूजा ही है। पूजा की आरती की लीला