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सूर्य की लालिमा जा चूकी थी। रात की कालिमा छा चूकी

सूर्य की लालिमा जा चूकी थी।
रात की कालिमा छा चूकी थी।
घनघोर तिमिर छाया हुआ था।
पक्षी अपने आशियाने में थे।
कुत्ते भौंक रहे थे,पहरा दे रहे थे।
मै गहरी नींद में सोया हुआ था।
सपने में बातें कर रहा था रात से।
पूछ रहा था उसकी कहानी रात से।
बोली-मैं आती हूं आलोक भाग जाता है।
चारों और मेरा ही साया छा जाता है।
मैं विवश हूं नहीं मिल पाती दिन से।
लोगों को काम से आराम दिलाती दिन से।
रवि,होता मेरे अधीन कुछ नहीं कर पाता।
विश्व!पर मेरा ही शासन चलता।
चंद्रमा मेरे पीछे पीछे है आता।
अपनी दूधिया रोशनी में मुझे नहलाता।
मै खो जाती हूं,उसकी चांदनी के साथ।
मुझे निहारते तुम चांदनी के साथ।
सोचते रहते न जाने क्या! तुम अपनी यादों के साथ।
फिर मै, मजबूर हो जाती हू जाने को।
अपनी अगली कहानी गढ़ने को।
सोचती हूं,थकी हूं,अब आराम करूं।
मस्टर का रात में बोलना। 
बच्चे की शिशकियों का मूंह खोलना।
अब रूकूं ना चली जाऊं,बेचारे दिन को आजाद करू।
मेरा अहसान मानो, तुमको दिलाती हूं चैन।
फिर भी लोग डरते हैं हाय!क्या!है ये रैन।
मै डराती हूं,सूलाती हूं,जगाती हू।
जब नींद नहीं आती,रात आ जाती है।
ले जाती है छत पर टिमटिमाते तारों की सैर कराती है।

©Kumar Deep Bodhi #रात
"रात की कहानी
सूर्य की लालिमा जा चूकी थी।
रात की कालिमा छा चूकी थी।
घनघोर तिमिर छाया हुआ था।
पक्षी अपने आशियाने में थे।
कुत्ते भौंक रहे थे,पहरा दे रहे थे।
मै गहरी नींद में सोया हुआ था।
सपने में बातें कर रहा था रात से।
पूछ रहा था उसकी कहानी रात से।
बोली-मैं आती हूं आलोक भाग जाता है।
चारों और मेरा ही साया छा जाता है।
मैं विवश हूं नहीं मिल पाती दिन से।
लोगों को काम से आराम दिलाती दिन से।
रवि,होता मेरे अधीन कुछ नहीं कर पाता।
विश्व!पर मेरा ही शासन चलता।
चंद्रमा मेरे पीछे पीछे है आता।
अपनी दूधिया रोशनी में मुझे नहलाता।
मै खो जाती हूं,उसकी चांदनी के साथ।
मुझे निहारते तुम चांदनी के साथ।
सोचते रहते न जाने क्या! तुम अपनी यादों के साथ।
फिर मै, मजबूर हो जाती हू जाने को।
अपनी अगली कहानी गढ़ने को।
सोचती हूं,थकी हूं,अब आराम करूं।
मस्टर का रात में बोलना। 
बच्चे की शिशकियों का मूंह खोलना।
अब रूकूं ना चली जाऊं,बेचारे दिन को आजाद करू।
मेरा अहसान मानो, तुमको दिलाती हूं चैन।
फिर भी लोग डरते हैं हाय!क्या!है ये रैन।
मै डराती हूं,सूलाती हूं,जगाती हू।
जब नींद नहीं आती,रात आ जाती है।
ले जाती है छत पर टिमटिमाते तारों की सैर कराती है।

©Kumar Deep Bodhi #रात
"रात की कहानी
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