यूँहीं बैठे बैठे बेवजह मुस्कुराया करेंगी आप, ये मेरा इश्क़ है इसे कैसे छुपाया करेंगी आप ! कुछ याद आएगा और फिर कुछ भूल जाएंगी , मेरे यादों में रोटियाँ भी जलाया करेंगी आप ! जहाँ जिक्र होगा मुहब्बत का मेरा नाम लेंगी, अब तो हर बात मे मेरा जिक्र लाया करेंगी आप ! ख़्वाबों में भी मेरे लबों के रोज़ बोसे करेंगी , नींद खुलने पे शर्म से मुस्कुराया करेंगी आप ! मेरे ऑनलाइन नहीं रहने से बेचैन हो जाएंगी, बार बार अपना फ़ोन उठाया करेंगी आप ! मुझ से रुठ कर खुद को को सज़ा भी देंगी, मैं रूठ जाऊँ तो मुझको मनाया करेंगी आप !