न पलक झुके न नयन मुँदे, चन्द्रमुखी चकित सी देख रही है। न चले न हिले मकरंद बनी, मलयानिल सी बस तैर रही है। कह दूँ कैसे मन की सब बातें मन में सरिता सी हिलोर मची है। समझ सको तो भाव समझ लो तू उर-सिंधु लहर में तैर रही है। #प्यारजताना #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi