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मंजिल की तलाश थी और सफर भी अकेला, आगे किस्मत खड़ी

मंजिल की तलाश थी

और सफर भी अकेला,

आगे किस्मत खड़ी थी

पीछे दुनिया का मेला।




पास जाने पर बड़ी आफत है,

माना कि हंसी नजारा है,

चलो दूर से ही देख लेते है ‘मेला’

पैसों का ये खेल सारा है।

©Mr. India
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