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उतार दूँ पन्नों पर क्या दास्ताँ हमारी, इश्क़ की कि

 उतार दूँ पन्नों पर क्या दास्ताँ हमारी,
इश्क़ की किताब में वाह वाही तुम्हारी..!

शुरू हुई अनदेखी अनोखी बीमारी,
दिन भर मीठी वो बातें तुम्हारी..!

वो ख़्वाबों में आना और दूरी बनाना,
मजबूर रहे हम ये कैसी लाचारी..!

मिले थे जब पहली दफ़ा हम यूँ ख़िलकर,
बादलों ने बारिश की बूँदे उतारी..!

न चले क़दम फिर न बहके कहीं और,
इश्क़ की थी ये कैसी ख़ुमारी..!

©SHIVA KANT
  #daastanaahumari