" ये आख़िरी लम्हों की बात होगी , फिर कहीं तु फिर कहीं मैं फिर ये बरसात होगी , फकत जो हुआ सो हुआ ना तेरी गलती ना मेरी कोई भूल , लम्हें यूं ही मिल के बिछड़ने थे तो क्या करते , तुझे इल्म होगा मेरे खामोशि का जब कोई तुझ से बात करने को नहीं मिलेगा." --- रबिन्द्र राम " ये आख़िरी लम्हों की बात होगी , फिर कहीं तु फिर कहीं मैं फिर ये बरसात होगी , फकत जो हुआ सो हुआ ना तेरी गलती ना मेरी कोई भूल , लम्हें यूं ही मिल के बिछड़ने थे तो क्या करते , तुझे इल्म होगा मेरे खामोशि का जब कोई तुझ से बात करने को नहीं मिलेगा." --- रबिन्द्र राम