ऐ मुस्तकबिल वक्त ए हसन कुछ रूहानी ताकतों ने परेशान कर रखा है बस मन चाहा एहतिराम पा ही जायेंगे हम पतझड़ के बाद ही तो खिलता है चमन मुस्तकबिल- आनेवाला,वक्त ए हसन- अनुकूल समय, रूहानी-अंतः करण,एहतिराम सम्मान आयुष कुमार गौतम ऐ मुस्तकबिल............