जिम्मेदारी की लपेट में आ कर, मालूम नही पड़ा दिन कैसा गया तूम झूठ बोलकर रास्ता काट रहे हो, और ये साल भी तुमको सच बताके गया। ©Ketan Apte जिम्मेदारी की लपेट में आ कर, मालूम नही पड़ा दिन कैसा गया तूम झूठ बोलकर रास्ता काट रहे हो, और ये साल भी तुमको सच बताके गया। *© केतन आपटे* . .