मेरा और तुम्हारा रिश्ता, जैसे समुंदर के पानी और किनारे का, जो मिलते हैं बिछड़ते हैं, पर हमेशा के लिए जुदा नहीं होते, मेरा और तुम्हारा रिश्ता, जैसे सांझ और रात का, जब हर दिन सांझ रात में मिल जाती है, बिछड़ती है हर दिन, पर मिलती भी है, मेरा और तुम्हारा रिश्ता, जैसे डोर पतंग का, जो साथ मिलकर आसमान चूमते हैं, और आख़िर कट कर आसमान में खो जाते हैं, मेरा और तुम्हारा रिश्ता, जैसे माचिस कि लकड़ी और उस पर लगे रसायन का, जो साथ मिल कर अंधेरे को चीरते हैं, फ़िर साथ में ख़त्म हो जाते हैं !! मेरा और तुम्हारा रिश्ता, जैसे समुंदर के पानी और किनारे का, जो मिलते हैं बिछड़ते हैं, पर हमेशा के लिए जुदा नहीं होते, मेरा और तुम्हारा रिश्ता, जैसे सांझ और रात का, जब हर दिन सांझ रात में मिल जाती है, बिछड़ती है हर दिन, पर मिलती भी है,