तेरे अंदर के समुन्दर का बस इल्म तुझे ही होता है कितनी लहरे हरदम उठती कितनी लहरे खोता है किन सपनो मे जागता है तू किन सपनो मे सोता है कोई और तुझे ना जान सकेगा क्यों हर कंधे पर रोता है तेरे अंदर के समंदर का बस इल्म तुझे ही होता है #harrymandlekar