White तू तरुण देश से पूछ अरे, गूँजा कैसा यह ध्वंस-राग? अंबुधि-अंतस्तल-बीच छिपी यह सुलग रही है कौन आग? प्राची के प्रांगण-बीच देख, जल रहा स्वर्ण-युग-अग्निज्वाल, तू सिंहनाद कर जाग तपी! मेरे नगपति! मेरे विशाल! रे, रोक युधिष्ठिर को न यहाँ, जाने दे उनको स्वर्ग धीर, पर, फिरा हमें गांडीव-गदा, लौटा दे अर्जुन-भीम वीर। कह दे शंकर से, आज करें वे प्रलय-नृत्य फिर एक बार। सारे भारत में गूँज उठे, ‘हर-हर-बम’ का फिर महोच्चार। ले अँगड़ाई, उठ, हिले धरा, कर निज विराट् स्वर में निनाद, तू शैलराट! हुंकार भरे, फट जाय कुहा, भागे प्रमाद। ©RJ VAIRAGYA #rjharshsharma #ramdharisinghdinkar