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थोड़ी -थोड़ी धुप थी, थोड़ी सी छाँव थी। मुस्कुराती

थोड़ी -थोड़ी धुप थी, थोड़ी सी छाँव थी।
मुस्कुराती मेरी सुबह, तो रोती मेरी शाम थी।
आँखे जो भर आई मेरी, आँसू उसके ही नाम थी।
गुदगुदाती मेरी सुबह, तो दिल दुखाती मेरी शाम थी।

अपनी हसी, अपनी खुशी, अपने आँसू, वो सब बंया कर गये।
किसी और को आने दिया अपने जिन्दगी में, और हमें खुद से जुदा कर गये।
जिन आँखो में हर पल खुशी ही नजर आती थी,
आज उन आँखों से आँसू भी रुसवा कर गये।

तू आई तो जिंदगी मुस्कुराने लगी थी।
तुम्हें गाने तो नहीं आता था, फिर भी तू गुनगुनाने लगी थी ।
ना चाहकर भी तू मेरे पास आने लगी थी।

©FN MEDIYA LIVE SOW
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