Nojoto: Largest Storytelling Platform

कलम मैं हूँ बहुत ही छोटी सी पर काम बहुत मैं आती

कलम 

मैं हूँ बहुत ही छोटी सी 
पर काम बहुत मैं आती हूँ 
लोगो के मन को भाती हूँ 
हाँ मै कलम कहलाती हूँ 
मैने ही वो ग्रंथ लिखे 
जो लोगो का ज्ञान बढ़ाते है  
मैं ही शब्दो को मोती सा 
लिख जाती हूँ 
हाँ मै कलम कहलाती हूँ 
मैं तब से हूँ जब से कागज 
भी ना तो जन्मा था 
तब मुझको लिखने का काम
 पत्तो पर ही करना था  
कभी मोर पंख से कभी सरकंडों 
से लिखी जाती हूँ 
हाँ मै कलम कहलाती हूँ 
ईश्वर अमिता:(भगवान गणेश) ने 
डोर जब मेरी थामी थी
तब महाभारत जैसा महा ग्रंथ इसकी 
रचना कर डाली थी 
इतिहासों के पन्नो मे अलग रूप था 
अब अलग रूप मे आती हूँ 
हाँ मै कलम कहलाती हूँ 
जब मुझको कोई जज पकड़े तो लोगो
को सजा सुनाती हूँ 
जब मुझको कोई कवि पकड़े तो महाकाव्य
 लिख जाती हूँ 
आफिसर से बच्चो तक सबके मन को भाती हूँ 
हाँ मै कलम कहलाती हूँ 
हाँ मै कलम कहलाती हूँ ...............
                  
                                            आयुष अवस्थी #कलम
कलम 

मैं हूँ बहुत ही छोटी सी 
पर काम बहुत मैं आती हूँ 
लोगो के मन को भाती हूँ 
हाँ मै कलम कहलाती हूँ 
मैने ही वो ग्रंथ लिखे 
जो लोगो का ज्ञान बढ़ाते है  
मैं ही शब्दो को मोती सा 
लिख जाती हूँ 
हाँ मै कलम कहलाती हूँ 
मैं तब से हूँ जब से कागज 
भी ना तो जन्मा था 
तब मुझको लिखने का काम
 पत्तो पर ही करना था  
कभी मोर पंख से कभी सरकंडों 
से लिखी जाती हूँ 
हाँ मै कलम कहलाती हूँ 
ईश्वर अमिता:(भगवान गणेश) ने 
डोर जब मेरी थामी थी
तब महाभारत जैसा महा ग्रंथ इसकी 
रचना कर डाली थी 
इतिहासों के पन्नो मे अलग रूप था 
अब अलग रूप मे आती हूँ 
हाँ मै कलम कहलाती हूँ 
जब मुझको कोई जज पकड़े तो लोगो
को सजा सुनाती हूँ 
जब मुझको कोई कवि पकड़े तो महाकाव्य
 लिख जाती हूँ 
आफिसर से बच्चो तक सबके मन को भाती हूँ 
हाँ मै कलम कहलाती हूँ 
हाँ मै कलम कहलाती हूँ ...............
                  
                                            आयुष अवस्थी #कलम