तेरे हर जुल्म को उल्फत मे गवारा करके,दिल की बस्ती में जो बैठे है ख़सारा करके//१
फलक पे भेज दी मैने,आहो फुगा,खुदा ने सुन ली अरज मेरी बंदा हमारा करके //२
मै वो बशर हूँ कि,जिसकी आह रद्द न हुई,तुमने अच्छा किया गुनाहों का कफ्फारा करके//३
आते जाते हैं तेरे जैसे,निगाहों में मेरी,लोग लेते हैंं,मजा,जिक्र तुम्हारा करके//४
बेसबाब होके तेरा मुझको, मुंताशिर करना, तूने अच्छा ना किया,मुझसे कनारा करके//५ #gazal#दिल_की_बात#dilkarishta#मेरी_कलम_से#merekhyal#shamawrites#AugustCreator#AzadKalakaar