प्यार का अर्थ है कि- जीवन आनंद खुशियों से भर जाना। जिसका अर्थ है जी रस के सृजन होना। ऐसी खुसी का अनुभव होना जो कभी हुई ही न हो। ऐसे सुख का अनुभव होना जो दुनिया के किसी चीज में न हो ऐसे भावनाओ का एहसास होना जो आपके हृदय को आलोकित कर दे । प्यार में इतनी सकती है कि जो मन दुनिया मे कही नही ठहरता कही नही रुकता भटकता ही जाता है । और जहाँ प्रेम होता है वहाँ भटकता हुआ मन भी ठहर जाता है। पर आज क्यों इसा प्रतीत होता है।🤤 जो प्रेम प्रावितता का प्रतीक है, सच्चाई और विस्वास का प्रतीक है, आज उसी प्रेम में निराशा आ गयी है।🤐😪😯😫😤😞😟🙁 और आज उसी प्रेम में इतनी नफरत आ गयी है। कई बार। जो हम खुद के लिए नही कर पाते, खुद से नही कर पाते, लेकिन प्रेम के खुसी के लिए हम सब कुछ कर जाते है जो चीज अपने बस की बाहर की हो वो भी कर जाते है । और फिर भी आप कद्र नही करते हो। आज प्यार ही नही कर रहे।🙁😟😞 प्रेम में एक चीज जरूर देखने को मिलती है। एक जो सिर्फ सिर्फ प्रेम करता है । और दूसरे को परवाह ही नही रहती। एक तो कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। लेकिन दूसरा ध्यान ही नही देता। सब कुछ one साइडेड होता जा रहा है। एक पर ही भूत सवार हो प्यार का। हम इतने फ़ोन करते है, मैसेज करते है, इतनी परवाह करते है पर सामने वाले को रत्ती भर फ़र्क़ नही पड़ता । और जब आप कहते हो, मुझे परवाह नही है भाड़ में जाओ। तब न बहुत तकलीफ होती है। बहुत तकलीफ होती है। बहुत दर्द पहुचता है। अरे यार, हम ज्यादा तो नही मांगते,बस आपका थोड़ा समय मांगते है, थोड़ा प्रेम मांगते है। एक बात बताओ, मैं भिखारी ही हु न, जो सिर्फ आपसे प्रेम की भीख मांग रहा हु। प्रेम ऐसा भाव है जो जबरदस्ती हो ही नही सकता यार । जब तक आप न चाहो..... हा-----कहने को तो लोग आसानी से कह देते है।😢 मेरा तुमसे बहुत प्रेम है । लेकिन.......😢 और आज के समय मे, प्रेम करना सबके बस की बात नही है। प्रेम ( प्यार ) का अर्थ ही है त्याग। प्रेम का अर्थ ही है समरप्रर्णम। प्रेम का अर्थ ही है मिट जाना, प्रेम का अर्थ है की खुद का भी होश ही न रहे। कह देने से नही होता डिअर , अगर आप अपने दिल से पूछोगे तो । पता चल ही जायेगा। की सच्चा प्रेम है या नही। किसी से पूछने की जरूरत नही मेरे लिये तो आप ही हो सब कुछ, प्रिय😍 ©Shivam Dubey what is the lone