कृष्ण सौंदर्य वर्णन ************ मोर-मुकुट सिर पर पगड़ी तेरे धानी है, मधुर सुरों की बांसुरी मधुर तेरी वाणी है। पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़ें। मोर -मुकुट सिर पर पगड़ी तेरी धानी है, मधुर सुरों की बांसुरी मधुर तेरी वाणी है, कानन कुंडल गल वैजयंती माला है, चाँद सा मुखड़ा ऐसा बृज गोपाला है, कंठ में मधुर मधुरिमा का सु -वास है, प्रज्वलित करे नैनन में ऐसा प्रभास है, पीताम्बर सुसज्जित वस्त्र धारण करे, जान जन पीड़ा को वो तो दुखों को हरे,