सरकारी मास्टर काहे?ट्यूशन पढ़न बुलाए... अस्पताल कै डाक्टर प्राइवेट क्लिनिक पहुंचाए... दफ्तर वाले कह रहे चाय-पानी हुई जाए... जनता ही बकलोल है ना हिसाब करपाए... ना हिसाब करपाए ना ही हक़ बाचन जाने आजादी कै अरथ(मतलब) तो केवल नाचन जाने.....अर्चना'अनुपम क्रान्ति' ©Archana pandey आजादी का अर्थ बताओ बच्चों को ना कि लड्डू और डांस में व्यस्त रखो....,