जी चाहा मुस्कुरा दिए जी चाहा लानतें भेजी रिश्तों को निभाने का कुछ कायदा तो रखिये हर एक बात में ढूंढ़ते हो नफ़ा नुकसान रिश्तों में कुछ नुकसान भी उठाइये परे ख़ुद से फायदा तो रखिये कौन जाने कब किस मोड़ बदल जाएगी ज़िन्दगी मुस्कुराते हुए मन में कुछ खुशनुमा वायदा तो रखिये अब क्यूँ रोते हो फ़स्लेज़हर को देखकर जो बीज बोया था याद उसकी इब्तिदा तो रखिये #कायदा