दुनियादारी सीखाने को ज़माना कम न था मोहसिन दानिश! तुम तो हमारी नादानियों पे नाज़ करते थे यक़ायक! दरम्यां शीशे की ये दीवार कैसी है ये चुप्पी क्यों भला बोलो अलम तक़रार कैसी है ख़ामोश थे ख़ामोशियों में ख़ुशबू सी बरक़त थी मेरे ज़ानिब इन आँखों में मोहब्बत बस मोहब्बत थी तुम्हें भी चीरती सी है हमें लहूलुहान किए देती नियाज़!उन्हीं नज़रों में दुधारी ये तलवार कैसी है बेचैनियों का जहाँ ग़ाफ़िल मोहब्बत का हासिल है मोहब्बत ही की है याकि कोई लिहाज़ करते थे दिल! ज़ार-ज़ार रुलाते हो पशेमा किए देते जान! तुम तो हँस के जाँ निसार करते थे मुस्कुरा भी दो माहेरुबी अच्छा चलो रहबर जैसे बेतकल्लुफ़ बाहों में बाँहें डाल चलते थे हम-तुम एक लौ हैं रूबाई रोशनाई की कह दो प्यार करते हो कि जैसे प्यार करते थे #toyou #yqlove #yqlife #yqamusings #yqmissyou #yqyouandme