ज़िंदगी को ज़िंदगी करने ख़ुद को नदी के एक छोर से दूसरे छोर पर रखता ये तकदीर तू फिर क्यों मुझे पीछे ढ़केलने में लगी रहती हैं ©® #Kishan_Korram ज़िंदगी को ज़िंदगी करने ख़ुद को नदी के एक छोर से दूसरे छोर पर रखता ये तकदीर तू फिर क्यों मुझे पीछे ढ़केलने में लगी रहती हैं ©® #Kishan_Korram