#5LinePoetry ये जमीं सोखती रही कभी सैलाब बन गई। कभी आफताब से जली और ये आसमां रोता रहा दोनों आमने आमने थे मगर फिर भी मिलन क़िस्मत में न था। ©Rajesh Pundir #rajeshpundir@788 # अल्फाज