उसके क़दमों में गिरा है दिल अब संभल नहीं सकता, मर कर भी सीने से उसका ख्याल निकल नहीं सकता। एक हम हैं कि ख़ुदी को उसकी आरज़ू में जला डाला है, वो हम को मर्ज़-ए-इश्क़ में जलता देख पिघल नहीं सकता। ~hilal hathravi . ©~Hilal. Follow Me for best shayri of your life #Pighal nhi sakta