अभंग हृदयी आकळे। दुर्जना नाकळे। कोंडले सावळे। परब्रम्ह।।धृ।। दावूनी कोहळे । पापिया आवळे टपले कावळे। अधर्मीया।।1।। विटेवरी रजा। हर्ष हास्य वजा। महामारी सजा। पामराशी ।।2।। राजे म्हणे येथे।दुःख जीर्ण तेथे। गुरुकृपे नाते। अखंडची।।3।। कवी राजेंद्रकुमार जगन्नाथ भोसले मो.नं.-9325584845 #अभंग #nojoto2020