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जिक्र अगर हो मेरा महेफ़ील में ,तो क्यों न खुलेआम हो

जिक्र अगर हो मेरा महेफ़ील में ,तो क्यों न खुलेआम हो,

मैं चाहता हूं पर्वत के उन चोटी में,ज़िन्दगी का एक शाम हो|

©Saurav Das #जिक्र 
#महेफ़ील 
#खुलेआम 
#पर्वत 
#ज़िन्दगी 
#शाम 
#mountainday  Riya Hasda Nain Sabar Jotshna Minj
जिक्र अगर हो मेरा महेफ़ील में ,तो क्यों न खुलेआम हो,

मैं चाहता हूं पर्वत के उन चोटी में,ज़िन्दगी का एक शाम हो|

©Saurav Das #जिक्र 
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#खुलेआम 
#पर्वत 
#ज़िन्दगी 
#शाम 
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sauravdas3369

Saurav Das

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