मेरे मित्रमिय !!!!!! लकीरें नहीं मेरे हाथों पे तेरी फिर भी सपने हजारो साजये फिरू तुझमे बसने की मेरी औकात नहीं इसलिए यूं तुझसे नजरे छूपये फिरू । मैं बेताब रहती हूँ तेरे लिए