Nojoto: Largest Storytelling Platform

मैं पांच वक़्त नमाज़ पढ़ती थी,वो शिव आराधना करता थ

मैं पांच वक़्त नमाज़ पढ़ती थी,वो शिव आराधना करता था,
मैं भी मंदिर में प्रार्थना कर आती थी,वो भी मस्ज़िद में दुआ कर आता था,
मैं शिव तांडव पढ़ लेती थी, वो कलमा पढ़ मुस्काता था,
वो ईद में जश्न मनाता था, मैं भी होली के रंगों में रंग जाती थी,
वो मेरे हिजाब की इज्जत करता था, मैं उसके तिलक का सम्मान करती थी
दोनों के मज़हब बिल्कुल अलग थे
मुझे इश्क़ था उस प्रेम था 

वो हिंदू था मैं मुस्लिम थी, गीता क़ुरान का अंतर था।

©Ãfreen nisha #worldpostday #मजहबी इश्क़
मैं पांच वक़्त नमाज़ पढ़ती थी,वो शिव आराधना करता था,
मैं भी मंदिर में प्रार्थना कर आती थी,वो भी मस्ज़िद में दुआ कर आता था,
मैं शिव तांडव पढ़ लेती थी, वो कलमा पढ़ मुस्काता था,
वो ईद में जश्न मनाता था, मैं भी होली के रंगों में रंग जाती थी,
वो मेरे हिजाब की इज्जत करता था, मैं उसके तिलक का सम्मान करती थी
दोनों के मज़हब बिल्कुल अलग थे
मुझे इश्क़ था उस प्रेम था 

वो हिंदू था मैं मुस्लिम थी, गीता क़ुरान का अंतर था।

©Ãfreen nisha #worldpostday #मजहबी इश्क़