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बेहतरीन शहर में, कुछ खिड़कियों पर, किरण दस्तक नहीं

बेहतरीन शहर में,
कुछ खिड़कियों पर,
किरण दस्तक नहीं देती,
अदा भरी फिज़ा नही आती,
सुमन की सुगंध नहीं आती,
चाँदनी नहीं झाँकती,
कोकिला नहीं कूकती,

लेकिन खिड़कियों के,
आर पार, आस पास,
नामी गिरामी, इनामी,
धनी, मालदार, सरदार,
गंभीर, संगीन, संजीदा,
बेकल, बेचैन, मौन,
उदास, निराश, हताश,
कुछ हस्तियां है,
हास्यास्पद निर्जन सी,
अटपटे पर्दो से ढकी,
कुछ खिड़कियाँ है,
कुछ ऐसी सी बस्तियां है,
बेहतरीन शहर में !

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि'

©Anand Dadhich #shaharkibat #kavitaye #kaviananddadhich #poetananddadhich

#MoonShayari
बेहतरीन शहर में,
कुछ खिड़कियों पर,
किरण दस्तक नहीं देती,
अदा भरी फिज़ा नही आती,
सुमन की सुगंध नहीं आती,
चाँदनी नहीं झाँकती,
कोकिला नहीं कूकती,

लेकिन खिड़कियों के,
आर पार, आस पास,
नामी गिरामी, इनामी,
धनी, मालदार, सरदार,
गंभीर, संगीन, संजीदा,
बेकल, बेचैन, मौन,
उदास, निराश, हताश,
कुछ हस्तियां है,
हास्यास्पद निर्जन सी,
अटपटे पर्दो से ढकी,
कुछ खिड़कियाँ है,
कुछ ऐसी सी बस्तियां है,
बेहतरीन शहर में !

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि'

©Anand Dadhich #shaharkibat #kavitaye #kaviananddadhich #poetananddadhich

#MoonShayari