प्रिये माँ और पापा तेरे आगमन की प्रत्याशा में कौतूहल हूं जरा सा मैं। सुनने को तेरी चारु ध्वनी व्याकुल हूं दर्शनाभिलाषा में। करने को स्पर्श मृदूल तनु हृदय से हूं अति प्यासा मैं। अवगत हूं तेरी तीथि से, पर अतिथि सा तेरा अभिनंदन हैं मेरी खुशी और तेरे क्रंदन का एक विचित्र सा होना संगम है उत्सुक हूं उस दिवस को जब वसुंधरा पर तु पधारेगा। हम तुझे साक्षात देखेंगे और तु हमे भी निहारेगा। ©️संतोष . ©संतोष #ParentsDay2021